Saturday, 31 October 2020

उद्देश्य प्रस्ताव की विस्तृत जानकारी(Objective proposal detailed information)

संविधान सभा की कार्यप्रणाली

संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 में हुई मुस्लिम लीग ने बैठक में हिस्सा नहीं लिया और अलग पाकिस्तान की मांग पर बल दिया इसी बैठक में केवल 221 सदस्यों ने हिस्सा लिया फ्रांस की तरह ही इस सभा में सबसे वरिष्ठ सदस्य डॉ सच्चिदानंद सिन्हा को सभा का अस्थाई अध्यक्ष बना दिया गया और बाद में डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थाई अध्यक्ष तथा उसी प्रकार डॉक्टर H C मुखर्जी और बीटी कृष्णमाचारी सभा के उपाध्यक्ष निर्वाचित हुए दूसरे शब्दों में कहें संविधान सभा के दो उपाध्यक्ष थे

उद्देश्य प्रस्ताव

13 दिसंबर 1946 को पंडित जवाहरलाल नेहरू ने ऐतिहासिक उद्देश्य प्रस्ताव पेश किया इसमें संवैधानिक संरचना के ढांचे एवं दर्शन की झलक थी और इसमें कहा गया कि.....
1  यह संविधान सभा को एक स्वतंत्र संप्रभु गणराज्य घोषित करती हैं तथा भविष्य के प्रशासन को चलाने के लिए एक संविधान के निर्माण की घोषणा भी कर दी है

2 ब्रिटिश भारत में शामिल सभी क्षेत्र, भारतीय राज्यों में शामिल सभी क्षेत्र, भारत से बाहर के इस प्रकार के सभी क्षेत्र तथा व अन्य क्षेत्र जो इसमें शामिल होना चाहिए भारतीय संघ का हिस्सा होंगे

3  सभी क्षेत्रों तथा उनकी सीमाओं का निर्धारण संविधान सभा द्वारा किया जाएगा तथा इसके लिए उपरांत के नियम के अनुसार यदि वे चाहे तो उनकी अवशिष्ट शक्तियां उनमें निहित होंगी तथा प्रशासन के संचालन के लिए भी वे सभी शक्तियां केवल उनको छोड़कर जो संघ में नियमित होगी इन राज्यों को प्राप्त होगी

4 संप्रभु स्वतंत्र भारत की सभी शक्तियां हैं और प्रदीप कार इसके अभिन्न अंग तथा सरकार के अंग सभी कसरोद भारत की जनता होगी

5 भारत के सभी लोगों के लिए न्याय सामाजिक आर्थिक एवं राजनीतिक स्वतंत्रता की सुरक्षा अवसर की समानता विधि के समक्ष समानता विचार अभिव्यक्ति विश्वास ब्राह्मण संगठन बनाने आदि की स्वतंत्रता तथा लोग नैतिकता की स्थापना सुनिश्चित की जाएगी


अल्पसंख्यकों पिछड़े वर्गों तथा जनजातियों वाले क्षेत्रों के लोगों को पर्याप्त सुरक्षा दी जाएगी

7 संघ की एकता को बनाए रखा जाएगा तथा उसके भूचित्र समुद्र वायु क्षेत्र को सभ्य देश के न्याय एवं विधि के अनुरूप सुरक्षा दी जाएगी


8  इस प्राचीन भूभाग को विश्व में उसका अधिकार एवं उचित स्थान दिलाया जाएगा तथा विश्व शांति एवं मानव कल्याण को बढ़ावा देने के निमित्त उस के योगदान को सुनिश्चित किया जाएगा

इस प्रस्तावना को 22 जनवरी 1946 में सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया इस ने संविधान के स्वरूप को काफी हद तक प्रभावित किया इसके परिवर्तन के रूप से संविधान की प्रस्तावना बनी

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